
(18 जुलाई 2025)
अविरल सविता (संवाददाता)
बांगरमऊ (उन्नाव)। जच्चा-बच्चा सुरक्षित रखने का वादा करने वाली स्वास्थ्य व्यवस्था फिर बेनकाब हो गई।
गौरिया कला गांव की 32 वर्षीय ज्योति देवी और उसके नवजात बेटे की बांगरमऊ सीएचसी में रहस्यमयी मौत ने पूरे जिले को झकझोर कर रख दिया है।
सिर्फ़ 24 घंटे में उजड़ गया पूरा घर –
गुरुवार दोपहर 1 बजे ज्योति को प्रसव पीड़ा हुई। बांगरमऊ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सामान्य प्रसव के बाद बेटे का जन्म हुआ।
परिवार खुशियों में डूबा था, लेकिन शुक्रवार सुबह चार बजे नवजात की मौत की खबर मिली।
बेटे की लाश देखते ही मां बेसुध हो गई। जमीन पर गिरते ही दम तोड़ दिया |
👉 सवाल उठता है —
क्या सीएचसी में जच्चा-बच्चा की निगरानी हो रही थी या सब राम भरोसे था?
सीएचसी में मौत और बहाने :
सीएचसी अधीक्षक डॉ. मुकेश का बयान — “ऊपर का दूध सांस की नली में चला गया।”
गांव में मातम, आंखों में सवाल –
ज्योति की तीन साल की बेटी अब मां-बेटे
की अर्थियों को देखती रह गई।
परिजन शव लेकर गांव लौट गए।
गांव में मातम नहीं, गुस्सा है — सिस्टम पर, डॉक्टरों पर, उस लापरवाह व्यवस्था पर जिसने दो जिंदगियां लील लीं।
प्रशासन से मांग: जिम्मेदारी तय की जाए –
परिजनों ने स्वास्थ्य विभाग पर लापरवाही का आरोप नहीं लगाया है, लेकिन सवाल ये उठ रहा है कि क्या नवजात को सही समय पर चिकित्सकीय निगरानी दी गई? और मां की तबीयत अचानक कैसे बिगड़ी? अब लोग यह मांग कर रहे हैं कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषी पाए जाने पर जिम्मेदारों पर कार्रवाई हो।